ना खंजर कटारों ना भालों से मारो असर हो रहा इन निगाहों से मारो ये जुल्फे घनेरी,सीतारों का पहरा लबों पे तबस्सुम है पसरा पसरा खिजा को चमन के बहारों से मारो असर हो रहा................।। गुरबत की राते फकीरी का पहरा हुई रात भारी बदन सहमा सहमा इसे तुम अपनी अदाओं से मारो असर हो रहा................।। खोया है साहिल ईन आँखो मे देखो डुबा समन्दर कहीं इनमे देखो जिसे चाहो तुम अब ईशारों से मारो असर हो रहा..........।। गुलाबो की लाली औ चेहरा शबाबी नजाकत अदा की हुई आफताबी बदस्तुर सनम ईन नजारों को मारो असर हो रहा..........।। राजीव मिश्रा"समन्दर" #NojotoQuote samandar speaks..