खाली पेट हो तो भोजन दिखता है, खाली दिमाग हो तो मजहब दिखता है.... ये कौन से लोग है जिनके लिए भोजन से ज्यादा उसे बनाने वाले और उन्हें डिलीवर करने वाले के मजहब से मतलब है??? आज डिजिटल मीडिया के युग में जहाँ हम खुद को दूसरे देशों से श्रेष्ठ समझते हैं। जहाँ हम लोकतंत्र की बाते करते हैं कहते हैं हम सब भारतवासी है। जहाँ मजहब से ऊपर लोकतंत्र को माना जाता है। वहीं एक खबर आती है, एक सज्जन अपने घर में डिलीवर करने वाले डिलीवरी बॉय को इसलिये मना कर देते हैं क्योंकि वो दूसरे मजहब से है और फिर इस बात को लेकर सोशल मीडिया में विवादों की बात छिड़ गई । जहाँ इस बात का एक ही पहलू है कि कोई भी किसी को उसके मजहब के आधार पर किसी भी कार्य के लिये मना नहीं कर सकता। जहाँ फ़ूड डिलीवरी कंपनी द्वारा ट्वीट करके कहा भी गया है, भोजन का कोई भी मजहब मजहब नही होता। मग़र बात यहाँ रुकी नहीं है अब कुछ लोगों को ये बातें हजम नहीं हो रहीं हैं और वो उस कंपनी के ट्वीट का मतलब घुमा फिरा के किसी एक मजहब विशेष का साथ देने वाला बताया जा रहा है। साथ ही इसे लोगों के सामने ऐसे बता रहे मानो कोई धर्म विशेष का डिलीवरी बॉय कुछ मिला दे उनके खाने में तो हम क्या करेंगे।