देखे जो वो हमें अजनबी की तरह, हम भी अपने पीछे उसी को ढूंढ लेते हैं । यह बात गौर कर लें वो ज़रा, तो मुस्कुराहट का शिकन हम भी ढूंढ़ लेते हैं । दुपट्टा लहराए उनका मखमल की तरह, हम उस हवा में खुशबू ढूंढ़ लेते हैं । नींदों में आये वो ख्वाबों की तरह, वहाँ तो हम भी इतराने का बहाना ढूंढ़ लेते हैं । भीड़ में दिख जाएँ, किसी चिराग की तरह, यह "काज़ी" आब-ओ-हवा में ताप ढूंढ़ लेते हैं । अर्ज़ किया है Click on #IshFAQ for more musings on Love. #CalmKaziWrites #YQBaba #YQDidi #Sher #Poetry #Poem #NaPoWriMo #GloPoWriMo #हिंदी #शेर #शायरी #Love #YQGhazal