आशिकी का रोगु बन्धु होति है बड़ा खराब ; छुई जाई तनिकौ तो ज़िन्दगी नसाई है । आदि अंतु जहिका मनीषि लै न पाई सके ; हारे सब उससे हैं जाति की जो नारी है ।। पहिले रहैं तौ बड़े मीत औे पियारि हम ; जब घेरि घेरि अायी ढेर सी बीमारी थी । तब लै न रहै कौनऊ घर तेने प्रेम मोहु बस हम तौ तुम्हारे औ तुमहू हमारी थी ।। तब भाई बाप बनिगे रहैं दुश्मन सब ; हंसि हंसि देति अब उनकइ दुहाई है ।। तनिकौ रहा न ख्यालु हमरे अगारू का ; छोड़िके हमार हाथु हुई तू पराई है ।। कइ चुकी हौ जतनी अनीति हमरे के संग ; याक याक का हिसाबु सब साफ करवाइबै । जब लै गुरूर चूर चूर होइ न जाइ तोर ; तब लै ऋषि न हम कृष्णाकान्त के कहइबै ।। दिन मा फिरत हूं बनिकै मलंग अब ; राति राति सारी चक्षु नीर ढुरकाती हैं । सोचि सोचि यह मनु होति है बड़ा बेहाल ; दिन मा न भूख निसि मा न नींद आती है ।। ©RISHI SHUKLA #rishi #dil #feeling #alfazdilonke #meltingdown Sudha Tripathi