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हम पास रहकर भी क्यो इक दूजे से अलग हो गए । कब दो



हम पास रहकर भी क्यो इक दूजे से अलग हो गए ।
कब दोनो मज़हब के नाम पे हिन्दू मुस्लिम हो गए।।

कि वो तो इक है जो है नबी तेरा जो है ईश्वर मेरा।
फ़िर क्यों दोनों इंसा होकर एक दूजे अलग हो गए ।।

ये जो नफ़रत की आड़ में बांट रहे हैं मोहब्बत को।
ये पाजी नेता कब से आवांम  के हमदर्दी हो गए ।।

मैं तो ख्वाजा की भी बंदी हूं राम की भी पुजारी हूं।
मेरा खुदा कब दो भागों में अलग अलग हो गए।।

अब और नफ़रत ना फैलाओ और घर ना जलाओ।
जो थे कभी अग्यार वो सारे के सारे अपने हो गए।।

मेरा धर्म तो गीता और कुरान दोनों में बसा हुआ है 
फिर कौशल क्यों कहे दोनों इक दूजे जुदा हो गए।।

©रानी...
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