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पापा ये एक शब्द है जिसने जिना सिखाय, ये वो सख्स है

पापा
ये एक शब्द है जिसने जिना सिखाय,
ये वो सख्स है जिन्होंने कई सलीक़ा सिखाया।
पापा... मेरे पापा जी 
मुझे गोद में बैठा कर मेरा सोना बच्चा हीरा बच्चा बोल कहानियां सुना कर छोटे छोटे निवाले खिलाते,
गलतियों पर माँ के डाट से बचते।
गर्मियों में रात भर थे पंखे भी झेलते, 
फिर सुबह स्कूल के लिए तैयार भी करते।
मेरे नखरे तो कभी कम न हुए,
जूते के फिते जो अब छोटा भाई भी बांध लेता था पर मेरे फिते तो आप ही बांधते थे।
आप के प्यार में मैं तो कभी बड़ी ही न हुई,
सारे मुसीबत का हल भी आपको ही समझती ।
घर के कामो में हमें maths और science पढ़ाते,
इससे माँ के काम भी हल्के हो जाते।
झाड़ू 45° के कोण पर झुक कर लगाओ,
कलछन से infinity बनाओ।
आपके ज्ञान के गंगा में हम तो सुबह का स्नान करते ,
Bodmas rule हमने तो kG में सीखा था सर्दी की छुट्टी में गर्म कंबल में बैठे हुए।
तारो का टिमटिमाना, परावर्तन और अपवर्तन के सिद्धान्त तो हमारी बचपन की कहानी थी,
गांधी की सादगी और उनका जीवन सिद्धान्त तो हमारी तब से ही जुबानी थी।
वक्त का मोल समझू इसके लिए कितनी कहानियां कितनी डटे भी लगाई,
कक्षा को इतनी एहमियत देना भी अपने ही सिखाया।
आप अब तक डेढ़ साल में बस एक बार मिलने आये,
क्योंकि अपने मुवकिल को अगली तारिक़ का चक्कर न लगवाए।
मैं कभी आभार अभिव्यक्त न कर सकी,
क्योंकि मेरे पास तो कोई शब्द ही नहीं।



 #जिंदगी
पापा
ये एक शब्द है जिसने जिना सिखाय,
ये वो सख्स है जिन्होंने कई सलीक़ा सिखाया।
पापा... मेरे पापा जी 
मुझे गोद में बैठा कर मेरा सोना बच्चा हीरा बच्चा बोल कहानियां सुना कर छोटे छोटे निवाले खिलाते,
गलतियों पर माँ के डाट से बचते।
गर्मियों में रात भर थे पंखे भी झेलते, 
फिर सुबह स्कूल के लिए तैयार भी करते।
मेरे नखरे तो कभी कम न हुए,
जूते के फिते जो अब छोटा भाई भी बांध लेता था पर मेरे फिते तो आप ही बांधते थे।
आप के प्यार में मैं तो कभी बड़ी ही न हुई,
सारे मुसीबत का हल भी आपको ही समझती ।
घर के कामो में हमें maths और science पढ़ाते,
इससे माँ के काम भी हल्के हो जाते।
झाड़ू 45° के कोण पर झुक कर लगाओ,
कलछन से infinity बनाओ।
आपके ज्ञान के गंगा में हम तो सुबह का स्नान करते ,
Bodmas rule हमने तो kG में सीखा था सर्दी की छुट्टी में गर्म कंबल में बैठे हुए।
तारो का टिमटिमाना, परावर्तन और अपवर्तन के सिद्धान्त तो हमारी बचपन की कहानी थी,
गांधी की सादगी और उनका जीवन सिद्धान्त तो हमारी तब से ही जुबानी थी।
वक्त का मोल समझू इसके लिए कितनी कहानियां कितनी डटे भी लगाई,
कक्षा को इतनी एहमियत देना भी अपने ही सिखाया।
आप अब तक डेढ़ साल में बस एक बार मिलने आये,
क्योंकि अपने मुवकिल को अगली तारिक़ का चक्कर न लगवाए।
मैं कभी आभार अभिव्यक्त न कर सकी,
क्योंकि मेरे पास तो कोई शब्द ही नहीं।



 #जिंदगी
siya9526021522348

siya

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