चट्टानों से अटल इरादे लिए मन में कुछ पाने की चाह लिए हम सजे-संवरे निकल पड़े राहों में कितने मोड़ पड़े हर मोड़ पे एक तजुर्बा नया जीवन का देखा रूप नया जीना उतना नहीं है सरल पग-पग पीते यहाँ लोग गरल कोई भी राह आसान नहीं विषधरों की कोई पहचान नहीं फिर भी बढ़ना स्वभाव मेरा मंज़िल पाना है स्वप्न मेरा चुनौतियों से लड़ती रही हिम्मत से आगे बढ़ती गई काँटे अधिक फूल कम मिले खुशियों से ज्यादा गम मिले पर मनोबल नहीं टूटने दिया जलता रहा आँधियों में दिया मजबूत इरादों से अपने किया रोशन नाम जग में अपना #आँधियो में दिया