//कौन अपना कौन पराया// ******************* कौन अपना कौन पराया इस दुनिया में कब कोई अज़ीज़ होता है, ह्रदय पर आघात करने वाला कोई खास दिल के करीब होता है, दिल और मन के विवाद में हमेशा जीत दिल की ही हुई हैं, जब दिल पर चोट हुई रिश्तो की पाक़ीज़गी का एहसास उस वक्त होता है, अंर्तमन कहने लगा कौन अपना कौन पराया मन कहे सब मोह माया, दिल ना माना रसिया से प्रीत निभाई, मन की ना मानने पर यही अंजाम होता है, जब तक दिल को ठेस नहीं पहुंचती बुद्धि का अजीर्ण नहीं होता, हमेशा व्यग्रता और उग्रता रहे धमनी में प्रबल इच्छाएं का ज्वाला शांत नहीं होता हैं, अपने और पराए की पहचान मुश्किल हालातों में हो जाती हैं, दुख की घड़ी में जो हमें खुशियां मुशर्रफ करें असल में वह हमारा खैर खाँ होता है, गर हो मुमकिन तुम मुझे अपने पराओं को पहचानने की वो आंख दे दो, यह मुतालबा है मेरी ईश्वर दिल, बार बार दिल पर आघात का दर्द बर्दाश्त कहां होता है, बंँट कर रह गई है जिंदगी अपने और पराए रिश्तो में, लालच, लोभ की दुनिया में मुकर्रर सुकून हो ऐसा लम्हात सिर्फ ख्वाबों में ही होता है। #कोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021 #collabwithकोराकाग़ज़ #kkअपनापराया