जिंदगी के ऐसे चौक पर खड़ा हूं, गाड़ी मिलती नहीं इधर जाने की ना उधर जाने की। बेरुखी का आलम कुछ यूं है कि, मुझे भी जल्दी नही है लौट कर घर जाने की।। अपने हिस्से का सच मैं तुझसे कह तो दूं, पर मुझे डर है तेरे सिहर जाने की।। एक तेरा साथ मुझे नसीब होता नही, मैं कोशिश करूं चाहे जिधर जाने की।। मैं थक गया हूं मेरे कदम अब उठते नही, तू बता तेरी तैयारी है किधर जाने की।। एक 'बेबाक कलम' है जो जीना सिखाती है, वरना आरजू ही क्या है, चैन से मर जाने की।। #kps #poetry #yqbaba #yqdidi #life #travel #love