पूरी इस सृष्टि को समेटी हुई हूँ, बेटी हूँ मैं मैं भी इस दुनिया का पवित्र अंश हूँ बेटी हूँ मैं बच्चे सी मुस्कान लिए नव निहाल हूँ मैं जीवन दायनी भविष्य की नारी हूँ, बेटी हूँ मैं हर मुकाम पर पहुंचने की हिम्मत रखती हूँ नहीं हूँ किसी पर बोझ मैं, बेटी हूँ मैं 🌝प्रतियोगिता-82 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹" बेटी हूँ तो क्या...??"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I