Nojoto: Largest Storytelling Platform

फेरकर मुंह तू जो खड़ी है बेखबर सुन ग़ज़ल आखिरी है लुट

फेरकर मुंह तू जो खड़ी है
बेखबर सुन ग़ज़ल आखिरी है
लुट गए जो नज़ारे नज़र थे
दिल तुझे मगर अपनी पड़ी है
उस खता की मिल रही सजायें
जो कि मैंने करी ही नहीं है
घूमते सब लगाकर मुखौटे
भेड़ीया नस्ल पर आदमी है
यूँ करम रव तिरे हैं बहुत से
जिन्दगी उस बिना बेबसी है
है बड़ी कशमकश दिल करूँ क्या
कल तलक थी ख़ुशी अब गमी है
फासले दरमियाँ कम न होते
दूर जैसे फ़लक से जमीं है
गोद मे में मरुँ बस तिरी ही
ये तमन्ना मिरी आखिरी है
sapna manglik #shayri#brokenheart#sapnawritesup
फेरकर मुंह तू जो खड़ी है
बेखबर सुन ग़ज़ल आखिरी है
लुट गए जो नज़ारे नज़र थे
दिल तुझे मगर अपनी पड़ी है
उस खता की मिल रही सजायें
जो कि मैंने करी ही नहीं है
घूमते सब लगाकर मुखौटे
भेड़ीया नस्ल पर आदमी है
यूँ करम रव तिरे हैं बहुत से
जिन्दगी उस बिना बेबसी है
है बड़ी कशमकश दिल करूँ क्या
कल तलक थी ख़ुशी अब गमी है
फासले दरमियाँ कम न होते
दूर जैसे फ़लक से जमीं है
गोद मे में मरुँ बस तिरी ही
ये तमन्ना मिरी आखिरी है
sapna manglik #shayri#brokenheart#sapnawritesup