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( १-)| दिल जानता है कोई अपना नहीं । फिर भी दि

(  १-)|    दिल जानता है कोई अपना नहीं  ।
फिर भी दिल क्यूँ मानता नहीं ।
मैं पहचानता हूँ उसको लेकिन ,
वो मुझे पहचानता नहीं


(२)-मैं आजमाता रहा हूँ उसको वो मुझे आजमाता नहीं ।
मैं बिखरा मोती हूँ कोई सजाता नहीं।
 मैं गमों में डूब जाता हूँ लेकिन कोई बहलाता नहीं ।

(३) -फूल गुलाब का हूँ महकना अरमान मेरा ।
प्रेम कराता हूँ यही है काम मेरा ।
टूटे दिलों को जोड़ने में सहायता करता हूँ ,
फिर क्यों नहीं है एहसान मेरा। प्रेमी की कविता
(  १-)|    दिल जानता है कोई अपना नहीं  ।
फिर भी दिल क्यूँ मानता नहीं ।
मैं पहचानता हूँ उसको लेकिन ,
वो मुझे पहचानता नहीं


(२)-मैं आजमाता रहा हूँ उसको वो मुझे आजमाता नहीं ।
मैं बिखरा मोती हूँ कोई सजाता नहीं।
 मैं गमों में डूब जाता हूँ लेकिन कोई बहलाता नहीं ।

(३) -फूल गुलाब का हूँ महकना अरमान मेरा ।
प्रेम कराता हूँ यही है काम मेरा ।
टूटे दिलों को जोड़ने में सहायता करता हूँ ,
फिर क्यों नहीं है एहसान मेरा। प्रेमी की कविता
arpitmishra8277

Arpit tejash

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