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कोई कब तक यहाँ रहेगा कहाँ? सबको आना है, सबको जाना

कोई कब तक यहाँ रहेगा कहाँ? 
सबको आना है, सबको जाना है।
सबसे छूटेंगे, जो हैं बने अपने 
ज़िंदगी का कहाँ ठिकाना है?

बंद मुट्ठी भरे हुए सपने;
दौड़ का शोर मंजिलों की ललक;
स्तब्ध होकर तलाश मिथ्या इक; 
अंत मे हाथ इतना आना है।

ये जो अम्बर उदास बैठा है 
नेह अवनी से कर लिया इसने 
दंभ था छू सकेगा वो इसको, 
पर ना मिलना है, ना मिलाना है।

जन्म खुशियां बटोर लाती है; 
कितनी आशाओं के दिये रोशन। 
जिदंगी दौड़ती चली सरपट;
मौत को दौड़ जीत जाना है।
Preeti_9220

©काव्यामृत कोष
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