हैं तितलियाँ जो तेरे यादों की, ज़िद्दी है तेरी तरह, वो पता तेरी है पूछती, खता मेरी है पूछती ... पर कैसे उसको समझाऊँ, चाँद की हो नूर तुम, मेरे पास भी नहीं तुम, ना ही हो मुझसे दूर तुम ... poem by kumar sonal