ऐ पलक तु बन्द होने से सामने से न सही कम से कम ख्बाबों में उसकी सूरत नजर तो आयेगी इन्तजार इन्तेजार तो सुबह होने का है कम से कम रात तो खुशी से कट जायेगी गर न आई नज़र सूरत उनकी तो ऐ दिल तु बन्द हो जा याद कहीं न आ पाएगी । ©prakash mishra #गुडनाईट