Nojoto: Largest Storytelling Platform

जब किसी इंसान को एक ही बात बार-बार समझाते थक जाओ त

जब किसी इंसान को एक ही बात
बार-बार समझाते थक जाओ
तो फिर खुद को समझा देना चाहिए...

©Priya Gour अक्सर हम उन चीजों,बातों और व्यक्ति विशेष की हद से ज्यादा परवाह या विचार करते हैं...एक मोड पर सामने वाला व्यक्ति अपने पूरे दिमागी संतुलन से समझ जाता हैं कि इस इंसान को कुछ भी कहो या करो ये फिर भी मेरा ही सोचेगा ये भाव एक तरफा इतना बढता हैं कि एक इंसान फ्रिक में परेशान दूसरे को कोई फर्क ही नहीं, यही हाल वस्तु के साथ है हम छोटी से छोटी अपनी प्रिय वस्तु के बिगड़ जाने पर खुद को कोसते है यहां तक की हम वस्तुओं को अपने हिसाब से नहीं ढालते बल्कि खुद वस्तु के हिसाब से ढल जाते हैं माना अपनी गलती स्वीकार करना भी जरुरी है पर जीवन भर किसीकी गलती को मानते हुए अनावश्यक मनमुटाव से थोड़े समय के लिए तो बच जायेगे पर ये भाव अनिश्चित समय के लिए दिल पर चोट दे जायेगे और कब ये विचार खाई बन जाये हमें खुद नहीं पता चलता...फिर हमे अपने उस भाव से परेशानी होती कि “अच्छा होना भी कहाँ अच्छा है"...?।
तो सबकुछ perfect सोचने या करने का विचार लाने की बजाय बस अच्छा करो अपना, फिर वो किसीको अच्छा लगे ना लगे खुद को भी तो अच्छा लगना जरुरी है अक्सर हम दूसरे की नजर से क्यों आँकने लगते हैं क्या हमारी नजर काफी नहीं...?
#nojotowriters 
#16december 4:23
#MyThought 
#realityoflife
जब किसी इंसान को एक ही बात
बार-बार समझाते थक जाओ
तो फिर खुद को समझा देना चाहिए...

©Priya Gour अक्सर हम उन चीजों,बातों और व्यक्ति विशेष की हद से ज्यादा परवाह या विचार करते हैं...एक मोड पर सामने वाला व्यक्ति अपने पूरे दिमागी संतुलन से समझ जाता हैं कि इस इंसान को कुछ भी कहो या करो ये फिर भी मेरा ही सोचेगा ये भाव एक तरफा इतना बढता हैं कि एक इंसान फ्रिक में परेशान दूसरे को कोई फर्क ही नहीं, यही हाल वस्तु के साथ है हम छोटी से छोटी अपनी प्रिय वस्तु के बिगड़ जाने पर खुद को कोसते है यहां तक की हम वस्तुओं को अपने हिसाब से नहीं ढालते बल्कि खुद वस्तु के हिसाब से ढल जाते हैं माना अपनी गलती स्वीकार करना भी जरुरी है पर जीवन भर किसीकी गलती को मानते हुए अनावश्यक मनमुटाव से थोड़े समय के लिए तो बच जायेगे पर ये भाव अनिश्चित समय के लिए दिल पर चोट दे जायेगे और कब ये विचार खाई बन जाये हमें खुद नहीं पता चलता...फिर हमे अपने उस भाव से परेशानी होती कि “अच्छा होना भी कहाँ अच्छा है"...?।
तो सबकुछ perfect सोचने या करने का विचार लाने की बजाय बस अच्छा करो अपना, फिर वो किसीको अच्छा लगे ना लगे खुद को भी तो अच्छा लगना जरुरी है अक्सर हम दूसरे की नजर से क्यों आँकने लगते हैं क्या हमारी नजर काफी नहीं...?
#nojotowriters 
#16december 4:23
#MyThought 
#realityoflife
priyagour7765

Priya Gour

Gold Star
Super Creator