मेरी स्नातक की परीक्षा चल रही थीं। एक दिन मैं भूलवश अपना प्रवेश पत्र घर पर भूल गयी। प्रवेश द्वार बंद होने में केवल कुछ ही समय बाकी था, मैं बेहद घबराई हुई थी क्योंकि मेरे पास न तो मोबाइल था न ही आस-पास कोई यातायात। मैंने कुछ लोगों से मदद माँगी कि कृपया मुझे कुछ दूरी पर साइबर कैफे तक छोड़ दें ताकि मैं फिर से प्रिंट निकलवा सकूँ। लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की। तभी एक लड़का मेरे पास आया, उसने मुझसे कहा कि चलो मैं तुम्हें छोड़ दूँगा। घबराओ नहीं। मन में एक डर भी था, पर उस वक़्त कुछ सूझा नहीं, मैंने तुरंत उसकी मदद स्वीकार की और कैफे पहुँच कर धन्यवाद किया और कहा कि आप जाईये। फिर मैं अंदर चली गयी और बाहर आई तो देखा कि वो अब भी मेरा इंतज़ार कर रहा था। उसने कहा जल्दी बैठो नहीं तो परीक्षा छूट जाएगी। उसकी बदौलत मैं समय पर परीक्षा दे सकी। परीक्षा देकर जब बाहर निकली तो मेरी निगाहें उसी की तलाश में थीं। पर वो कहीं नज़र नहीं आया। उसके प्रति मेरे मन में प्रेम और अपनेपन के पुष्प खिल उठे थे और यह भी उम्मीद थी कि वो फिर एक न एक दिन जरूर मिलेगा। आज का विषय :- "प्रेम के पुष्प" ★ ध्यान दीजिए सभी लेखकों से अनुरोध है कि आज आपको कविता नहीं कहानी का सृजन करना है। ★ सबसे प्रमुख बात आपको कहानी लगभग 100 शब्दों में (लघु कहानी) लिखनी है। ★ समय सीमा :- कल सुबह 7:00 बजे तक