कवि ही पुकारूं तुझे,अस्त दिनकर से बढ़ रहा आशियाने कारवां। जिधर से उतारूं,रवि पस्त होकर निराशा से भरता शामियां बाजवा।। सुप्रभात प्रिय लेखकों 🌅🌅🌅 एक नए दिन का प्रारंभ करें अपने खूबसूरत शब्दों को हमारे शब्दों से मिलाकर 🐦🐦🐦 #wallpaperzone #wz_chhavi #yourquotebaba #yourquotedidi #YourQuoteAndMine