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तुम कहते रहोगे मैं कब तक सुनूंगी? तुम चाहते हो मैं

तुम कहते रहोगे
मैं कब तक सुनूंगी?
तुम चाहते हो
मैं कभी कुछ न कहूंगी?...
न मेरे कोई विचार है 
न ही मेरी कोई सलाह
सब गलत को सही होते
बस देखती रहूंगी?..
मेरी ज़िंदगी के फ़ैसले
ग़र तुम ही करोगे
ना मानने की कोई 
गुंजाइश न रखोगे
चुप रहूं कब तक?
कब तक मैं घुटती रहूंगी?..

©Swati kashyap
  #कब_तक