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तुम दीदार-ऐ-अक़्स का करते रहे रूह ने गुफ़्तगू कर द

तुम दीदार-ऐ-अक़्स का करते रहे 
 रूह ने गुफ़्तगू कर दिलासा-ऐ-मर्म का दिया के ये शख़्सियत पेहले सा न रहा Ishq ab pehle sa na Raha...
तुम दीदार-ऐ-अक़्स का करते रहे 
 रूह ने गुफ़्तगू कर दिलासा-ऐ-मर्म का दिया के ये शख़्सियत पेहले सा न रहा Ishq ab pehle sa na Raha...