ज़िन्दगी को गले लगा कर आ!! फ़िर से बचपन जी लें.. तू बारिश के पानी में मुझको खींच कर ले जा आ!! फ़िर से हम बादलों की मस्ती पी लें... जी भर कर भीग जाएँ हँसी के झरने में आ!! ज़िम्मेदारियों के पैबंद मुस्कुरा के सी लें . दर्द भरे पन्नों को ज़िन्दगी से फाड़ लें, आ!! इन लम्हों की बना कर नाव बारिश में भिगोके कर दें इनके जायके रसीले.... . नाच लें मलंग हो कर बूंदों की धुन पर आ!! कर लें अपनी साँसों के बेंजर गीले.. चल!! मुस्कुराने चलें बचपन की तर्ज पर आ!! हो जाएँ हम इंद्रधनुष से रंगीले.. ©Beena Khanodia Bachpan jee lein..