कितनी देर तक,दोनो पास पास ही बैठे थे, पर शुरुआत कौन करेगा इसी इंतजार में थे| खामोश थे दोनों,पूरा माहौल खामोश था, दोनों को,दिल के राज खुलने का इंतजार था| शरमाई वो थोड़ी,थोड़ी सी करीब भी आई, लग रहा था मुझे ऐसे,जैसे बात बन आई| मैं भी थोड़ा आगे बढ़ा,सोचा हाथ थाम लूं, थाम कर हाथ उसका,मन के सारे राज खोल दूं| जुटाई हिम्मत,थाम हाथ उसका आई लव यू बोला, इकरार के रूप में उससे,जम कर एक चाटा मिला| खुली तब आँख,जाना तब ए तो सपना था, जगाने आई थी जब मां,उसी का हाथ थामा था| आज फिर पास आई थी वो,फिर बात अधूरी रह गई, कुछ कहने से पहले ही,मां के मार से नींद खुल गई| ऐसे भी होता है..😉🤣😄 #kkकाव्यमिलन #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #काव्यमिलन_3 #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ कितनी देर तक,दोनो पास पास ही बैठे थे, पर शुरुआत कौन करेगा इसी इंतजार में थे| खामोश थे दोनों,पूरा माहौल खामोश था, दोनों को,दिल के राज खुलने का इंतजार था| शरमाई वो थोड़ी,थोड़ी सी करीब भी आई, लग रहा था मुझे ऐसे,जैसे बात बन आई|