नीयत सर्द पछुआ इस रात में मेरी खुली आंखों के ख्वाबों में शीतलहर के संग ऐसे मचल रही है। मानो जमाकर ही छोड़ेगी मेरे ख्वाबों के हर एक कतरे को कि बदलते वक्त के साथ मेरे आंखों की भी नीयत बदल रही है। #ligequotes #badlaw