याद तो आज भी आती है तुम्हारी सी। कुछ भीनी , कुछ प्यारी सी।। इन्हीं लम्हों की यादों का तो सहारा है, तभी हर एक लम्हा तेरे बिन गुजारा है। जैसे हमने इन लम्हों को संवारा है, यादों से निकलना अब कहां गंवारा है।। PC