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थम जा ओ सावन भीगा नहीं अभी छाँजन। रुक जा ओ सावन अ

थम जा ओ सावन
भीगा नहीं अभी छाँजन।
रुक जा ओ सावन 
अभी भीगा नहीं आँगन।
बरसा ऐसे तू अब की बार
के हुआ नहीं जल मिट्टी के पार।
के गरजा तू बहुत
मचला तू बहुत।
पर बरसा भी कहाँ
जहाँ खेत न खनिहार।
थम जा ओ सावन
भीगा नहीं अभी छाँजन।
कल भी दिखे थें घिरे हुए
मेघ थें जो बिखरे हुए।
पर छीटों से कभी क्या हुई है तैयार
इन खेतों की हरियाली और बयार ।
के प्रेम भी उमड़ा पुष्प भी खिले
हुआ कुछ रगड़ा दोस्त भी मिलें।
पर बरसा नहीं तू उस तरहा इस बार
जैसा था बरसा घनघोर तब की बार।
थम जा ओ सावन
अभी भीगा नहीं छाँजन।
रुक जा ओ सावन 
अभी भीगा नहीं आँगन।
रुक जा ओ सावन
अभी भीगा नहीं मेरा मन। थम जा ओ सावन
भीगा नहीं अभी छाँजन।
रुक जा ओ सावन 
अभी भीगा नहीं आँगन।
बरसा ऐसे तू अब की बार
के हुआ नहीं जल मिट्टी के पार।
के गरजा तू बहुत
मचला तू बहुत।
थम जा ओ सावन
भीगा नहीं अभी छाँजन।
रुक जा ओ सावन 
अभी भीगा नहीं आँगन।
बरसा ऐसे तू अब की बार
के हुआ नहीं जल मिट्टी के पार।
के गरजा तू बहुत
मचला तू बहुत।
पर बरसा भी कहाँ
जहाँ खेत न खनिहार।
थम जा ओ सावन
भीगा नहीं अभी छाँजन।
कल भी दिखे थें घिरे हुए
मेघ थें जो बिखरे हुए।
पर छीटों से कभी क्या हुई है तैयार
इन खेतों की हरियाली और बयार ।
के प्रेम भी उमड़ा पुष्प भी खिले
हुआ कुछ रगड़ा दोस्त भी मिलें।
पर बरसा नहीं तू उस तरहा इस बार
जैसा था बरसा घनघोर तब की बार।
थम जा ओ सावन
अभी भीगा नहीं छाँजन।
रुक जा ओ सावन 
अभी भीगा नहीं आँगन।
रुक जा ओ सावन
अभी भीगा नहीं मेरा मन। थम जा ओ सावन
भीगा नहीं अभी छाँजन।
रुक जा ओ सावन 
अभी भीगा नहीं आँगन।
बरसा ऐसे तू अब की बार
के हुआ नहीं जल मिट्टी के पार।
के गरजा तू बहुत
मचला तू बहुत।