हमने ये शाम चराग़ों से सजा रक्खी है; आपके इंतजार में पलके बिछा रखी हैं; हवा टकरा रही है शमा से बार-बार; और हमने शर्त इन हवाओं से लगा रक्खी है। हमने ये शाम चराग़ों से सजा रक्खी है; आपक 👑•●Sadaf Ali●•👑