"पलकों के पीछे कोई ख्वाब गहरा है," ख्वाब को सजाने के लिए इनमें राज कोई गहरा है, इस राज को छिपाने के लिए नजरों पे शर्म ओ हया का पहरा है, तुझसे छिपाने की मजबूरी में मेरी आँखों में वर्षों से पानी ठहरा है, पलकों के पीछे कोई ख्वाब गहरा है #42