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ईमानदारी दार दार कर देती है । ईमान नहि बेचा तो जीत

ईमानदारी दार दार कर देती है ।
ईमान नहि बेचा तो जीते जी मर जाओगे ।
बेच दिया तो भ्रस्ट कहलाओगे ।
भ्रस्ट है आचार तुम्हारा ।
क्या करू भाई घर पे  है परीवार हमारा ।
कसम खा के भि निभा नहि पाते ।
पावर और पैसे के निचे वो दब कर मर ज़ाते ।
कहने को सरकारी नौकर ।
चौथी फेल उनहे मारे ठोकर ।
कागज मे इतनी गर्मी ।
कुर्शी देती बेशर्मी ।
ईमानदारी का परिनाम ट्राँसफर का इनाम ।
रक्षा करेंगे सविधान का ।
कसम खूब निभाये ।
एक जूर्म को छिपाने ।
जूर्म कि दुनिया बनायें ।
ईमानदारी मारे जाये ।
भ्रस्टआचारी देश को खा जाये ।
हम क्या करे भाई ।
ऊपर हमारे सैतान ।
ऊपर से निचे सब समझे खुदको भगवान ।

©Author Shivam kumar Mishra #honesty #Imandaari #nojotohindi #kavita #hindi_poetry