जो सोचा तुझे मैंने दो पल को, तो होंठों पे हंसी मेरे आई है | हवा छुके जो गुजरी तो ऐसा लगा, जैसे मिलने तू आई है || कभी वक़्त निकाल, घरवालों से झूठ बोलकर | छिपा जा कहीं, छिप के मुझे काॅल कर || कितना वक़्त हो गया है,तेरी आवाज कानों तक नहीं आई है | हवा छुके जो गुजरी तो ऐसा लगा, जैसे मिलने तू आई है || तेरा इंतजार पवन कर रहा | तेरी याद में शायर बन रहा || तू साथ बैठकर सुन लेना, हर शायरी तेरे लिए ही बनाई है | हवा छुके जो गुजरी तो ऐसा लगा, जैसे मिलने तू आई है || हवा छुके जो गुजरी तो ऐसा लगा, जैसे मिलने तू आई है || _by pavan #tu aai hai