इश्क़ कम हो कर भी बहुत है, ये इश्क़ भी एक मीठा ज़हर है ।। न होने पर दर्द से खामोश है, होकर भी दर्द में खामोश है ।। क्या बला है ? क्या दवा है ? या फिर बस चन्द लम्हों का सहर है ? एक दुआ है या रज़ा है ? या फिर एक सज़ा है ? ज़हर नहीं तो और क्या है ? सब तरफ है फिर भी ज़रा है ।। कहने को बहुत आशिक हैं लुटे, पर फिर भी इसी की खता है ।। ये इश्क ही है ऐ दोस्त ! जो कल भी फ़ना था, आज भी फ़ना है ।। A special message on Valentine's day. What IS Love ? FULL POETRY BELOW : इश्क़ कम हो कर भी बहुत है, ये इश्क़ भी एक मीठा ज़हर है ।।