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क्या तुम भी ऐसी जीवात्मा हो? रहस्यों से भरी जैसे आ

क्या तुम भी ऐसी जीवात्मा हो?
रहस्यों से भरी
जैसे आसमान में हो कोई तश्तरी
या
 पानी में कोई जलपरी

जिसे देखते ही ' कोई सोच'
' शोधकर्ता' बन जाती है
पर वो कुछ भी ज़्यादा
कर नही पाती है

कई बाते अनंत है
आकाशीय आयामों की तरह
जिन्हे समझना वैसा ही है
जैसे असंख्य तारों के प्रतिबिंब को
सीमित माध्यमों में देखना

©Anupama Sharma
  #रहस्य