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जब जब भी तेरी याद आती है फिर दरिया में आग लग जाती

जब जब भी तेरी याद आती है
 फिर दरिया में आग लग जाती है
मैं तो तुझे याद तक नही करना चाहता
लेकिन हिचकिया तेरे नाम से जाती है

खामोशी बिजली की तरह चीख रही है
काले बादल मेरे बिस्तर तक आ गए है
मैं तो बहोत समझता हूं सावन नही है
 फिर भी ये आँखे उमड़ जाती है

 मेरे अधरो की जब उबासी लेने लगते है
 मेरा झहन जब सोना चाहता है
मैं नींद के पीछे इस कदर भागता रहता हूँ
 जैसे किसी बच्चे की पतंग कट जाती है

मैं आँखे जब बन्द करता हूँ
और रात पलको से बहोत दूर निकल जाती है
आ मेरे पास आ मेरे सीने पे सर रख मर तो नही गया ये 
देख मेरे दिल से कोई आवाज नही आती है

वो अक्सर मेरे जाने के बाद ही क्यों आता है मेरे कमरे में
फिर मेरी दीवारे पूरी रात मेरा मगज खाती है
मन बना लिया है उसने जाने का तो वो जा सकता है
जिस्म से जाती है तो कब रूह बोल कर जाती है

ये दुनिया कुछ देती है तो बदले में कुछ चाहती है
एक माँ ही है जो बिना स्वार्थ के प्रेम लुटाती है #स्टाइल तहजीब हाफी
if you love feel then like
लेखक विपिन अग्रवाल 
thanks all readers
जब जब भी तेरी याद आती है
 फिर दरिया में आग लग जाती है
मैं तो तुझे याद तक नही करना चाहता
लेकिन हिचकिया तेरे नाम से जाती है

खामोशी बिजली की तरह चीख रही है
काले बादल मेरे बिस्तर तक आ गए है
मैं तो बहोत समझता हूं सावन नही है
 फिर भी ये आँखे उमड़ जाती है

 मेरे अधरो की जब उबासी लेने लगते है
 मेरा झहन जब सोना चाहता है
मैं नींद के पीछे इस कदर भागता रहता हूँ
 जैसे किसी बच्चे की पतंग कट जाती है

मैं आँखे जब बन्द करता हूँ
और रात पलको से बहोत दूर निकल जाती है
आ मेरे पास आ मेरे सीने पे सर रख मर तो नही गया ये 
देख मेरे दिल से कोई आवाज नही आती है

वो अक्सर मेरे जाने के बाद ही क्यों आता है मेरे कमरे में
फिर मेरी दीवारे पूरी रात मेरा मगज खाती है
मन बना लिया है उसने जाने का तो वो जा सकता है
जिस्म से जाती है तो कब रूह बोल कर जाती है

ये दुनिया कुछ देती है तो बदले में कुछ चाहती है
एक माँ ही है जो बिना स्वार्थ के प्रेम लुटाती है #स्टाइल तहजीब हाफी
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लेखक विपिन अग्रवाल 
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avthebreathless6224

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