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नाराज़ दर्द भरे पल मत पुछ मैं कैसा हूं वो फोन मेर

नाराज़  दर्द भरे पल मत पुछ मैं कैसा हूं 
वो फोन मेरा काटती रहीं 
ओर मैं लगाता रहा...
साथ छोड़ना था शायद
 उसको ओर मैं नादान साथ निभाता  रहा
कोई साथ नहीं था मेरे 
फिर कुछ आये अपने 
वो जालीम गम देती रही...
मैं अपनो मे बांटता  रहा ।।

#Tamsa_poetry
नाराज़  दर्द भरे पल मत पुछ मैं कैसा हूं 
वो फोन मेरा काटती रहीं 
ओर मैं लगाता रहा...
साथ छोड़ना था शायद
 उसको ओर मैं नादान साथ निभाता  रहा
कोई साथ नहीं था मेरे 
फिर कुछ आये अपने 
वो जालीम गम देती रही...
मैं अपनो मे बांटता  रहा ।।

#Tamsa_poetry