अरे मेहरबां समन्दर हैं हम, हमें ठहरा हुआ पानी ना समझना, जिस दिन धधक गई आग पूरे सीने की, ले डूब जाएँगें हम सभी को खुदी में, अब तो यह जवानी भी इश्क करती है हमसे बेपनाह, जरा इसे किसी और की रवानी ना समझना....!! -Sp"रूपचन्द्र" ©Sp"रूपचन्द्र"✍ #300 #bhagatsingh