ग़ज़ल """"""""" फूल होठों पर... खिलाना आ गया तू मिला तो...... मुस्कुराना आ गया है कहाँ बेघर...... जहाँ में शख़्स वो घर जिसे दिल में... बनाना आ गया आँख में जुगनू...... चमक मेरी उठे हाथ में कल.... ख़त पुराना आ गया वो गिरायेंगे किसी.. दिन बिजलियाँ होठ दाँतों से....... दबाना आ गया ख़त घुले ख़ुश्बू से.. याद आने लगे राह में जब.... डाकखाना आ गया आग ठंढी...... बर्फ़ लेकिन गर्म है क्या कहें कैसा.... ज़माना आ गया मिलके आओ राह.. ओलों की तकें क्योंकि हमको सर मुँडाना आ गया #फूल #बेघर #दिल #बिजलियाँ #आग #बर्फ़ #ज़माना #ghumnamgautam