मुस्तक़बिल.. मुस्तक़बिल को हथेली पर थामे, आज को हमें संवारना होगा कल की बात करने से बहेतर, हमें आज को बहेतरिन बनाना होगा। तूफान तो आएगा, सैलाब भी उठेंगा, बस हमें थोड़ा वक़्त को धीमा करना होगा। संदीप मनोहर कोठार मुस्तक़बिल.. मुस्तक़बिल को हथेली पर थामे, आज को हमें संवारना होगा कल की बात करने से बहेतर, हमें आज को बहेतरिन बनाना होगा।