इक रफ़्तार लिए ज़िन्दगी, बेताब है गुज़र जाने को, इक तरफ दिल है ज़िद्द किए, तन्हा ठहर जाने को... कुछ वादे, इरादे, बाक़ी है, मुक़्क़मल होना, अब तलक़, इतना काफ़ी है, मुझे, अपनी ज़िद्द पे अड़ जाने को... मलाल, कोशिश में भरपूर है, की मुझ में घर कर जाए, तासीर से अड़ियल, मैं, तैयार ही नहीं हूँ हार जाने को... रब जाने, वो कौन सी अलख है, मुझे संभाले हुए, गिर कर हर बार उठ जाता हूँ, फिर से लड़ जाने को... ©Bhushan Rao...✍️ #रफ़्तार ADV. Rakesh Kumar Soni Amita Tiwari Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"