माँ... सुन ना... ए माँ बता ना..क्या वो लोग यहाँ भी आ जाएंगे? हमारे बाबूजी को वो लोग कहाँ ले गए माँ? तू क्यों मुझे रातों-रात यहां ले आई है ? वो लोग किस आजादी की बात कर रहे थे ? तू कुछ बोलती क्यों नहीं है माँ? मुझे बाबूजी की बहुत याद आती है.... और दीदी भी ना जाने कहाँ रह गई.. तू मुझे उन सब से दूर यहां कहां ले आई है माँ? मुझे कश्मीर जाना है, अपने गांव जाना है। वहां की मिट्टी में खेलना है, वहां की वादियों में गाना है। और फिर बाबूजी और दीदी भी तो वहीं होंगे। वो लोग मेरा इंतजार कर रहे होंगे माँ... मुझे ले चल ना वापस कश्मीर.. अरे माँ... तू रोती क्यों है? मैंने तुझसे कोई जन्नत थोड़ी ही ना मांगी है माँ... तो क्यों इतने आंसू बहा रही है... लगता है तेरा भी यहां मन नहीं लगता माँ.. चल मेरे साथ मैं तुझे कश्मीर ले चलूं। माँ... सुन ना... ए माँ बता ना..क्या वो लोग यहाँ भी आ जाएंगे? हमारे बाबूजी को वो लोग कहाँ ले गए माँ? तू क्यों मुझे रातों-रात यहां ले आई है ? वो लोग किस आजादी की बात कर रहे थे ? तू कुछ बोलती क्यों नहीं है माँ? मुझे बाबूजी की बहुत याद आती है.... और दीदी भी ना जाने कहाँ रह गई.. तू मुझे उन सब से दूर यहां कहां ले आई है माँ?