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जब हम भी कभी बच्चे होते थे। दांत हमारे कचचे होते थ

जब हम भी कभी बच्चे होते थे।
दांत हमारे कचचे होते थे।
थोडे़ नटखट थोडे़ शरारती।
पर दिल के हम सच्चे होते थे।
☺
उस बचपन में हमारे खर्चे कम होते थे।
दिमाग से नहीं तब दिल से रिश्ते  होते थे।
समाज के उस माया जाल से दूर।
अपनी ही दुनिया में मद-मसत होते थे।
☺
डर के भाव में माँ के आंचल को तरसते होते थे।
तब बदन में पहने हुए कोई भी कपड़े अच्छे होते थे।
कंचे,गिललि-डंडा,पकड़ा-पकड़ी और चकका चलाना।
बस यही सब खेल-खेलकर हम बहुत खुश होते थे। #बचचे होते थे।
जब हम भी कभी बच्चे होते थे।
दांत हमारे कचचे होते थे।
थोडे़ नटखट थोडे़ शरारती।
पर दिल के हम सच्चे होते थे।
☺
उस बचपन में हमारे खर्चे कम होते थे।
दिमाग से नहीं तब दिल से रिश्ते  होते थे।
समाज के उस माया जाल से दूर।
अपनी ही दुनिया में मद-मसत होते थे।
☺
डर के भाव में माँ के आंचल को तरसते होते थे।
तब बदन में पहने हुए कोई भी कपड़े अच्छे होते थे।
कंचे,गिललि-डंडा,पकड़ा-पकड़ी और चकका चलाना।
बस यही सब खेल-खेलकर हम बहुत खुश होते थे। #बचचे होते थे।
shivasultan9659

Shiva Sultan

Bronze Star
Growing Creator