'एहसास' को यह हवा दे जाती है आग सीने में, यह जला जाती है यादों का 'हिसाब' बड़ा ही अज़ीब रुलाकर के य़ह हँसा जाती है कुछ अच्छी यादें, सुकून दे जाती आती है लबों पे मुस्कान दे जाती कुछ यादें दर्द का सैलाब ले आती भीगी पलकें ज़िंदगी डूब है जाती यादों को अच्छा कहूँ या बुरा कहूँ दर्द की धूप और सुकून की छाँव उदासी पल की, खुशी लम्हे की क्या कहूँ याद सौगात ज़िंदगी की कवि सम्मेलन भाग 2 द्वितीय रचना:_ याद सुकून या दर्द #collabwithकोराकाग़ज़ #kkकविसम्मेलन #kkकविसम्मेलन2 #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #यादें #kk_krishna_prem