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रोज रात हम सब सो जाते हैं ख्वाबों से मिलने ख्याबो

रोज रात हम सब सो जाते हैं 
ख्वाबों से मिलने ख्याबों में खो जाते हैं। 

जहाँ न कोई दुख दर्द गम होते हैं 
न ही अत्याचार शोषण के मायाजाल होते हैं। 

यहाँ न कोई धनवान न कोई दरिद्र होता हैं 
जिसमे ज़िंदा है इंसानियत वही इंसान होता हैं। 

चारो ओर खुशियाँ और खुशहाली होती हैं 
प्रत्येक चेहरो पर एक सुंदर मुस्कराहट होती हैं। 

लेकिन इन ख्वाबों में हकीकत नहीं होती हैं 
इन ख्वाबों में सिर्फ़ ख्वाहिशें होती हैं। 

सूर्योदय के साथ हमारे ये ख्वाब टुट जाते हैं 
हम ख्याबों से हकीकत की दुनिया में लौट आते हैं। 
 
प्रतिक सिंघल  " प्रेमी " #हकीकत #ख्याब़
रोज रात हम सब सो जाते हैं 
ख्वाबों से मिलने ख्याबों में खो जाते हैं। 

जहाँ न कोई दुख दर्द गम होते हैं 
न ही अत्याचार शोषण के मायाजाल होते हैं। 

यहाँ न कोई धनवान न कोई दरिद्र होता हैं 
जिसमे ज़िंदा है इंसानियत वही इंसान होता हैं। 

चारो ओर खुशियाँ और खुशहाली होती हैं 
प्रत्येक चेहरो पर एक सुंदर मुस्कराहट होती हैं। 

लेकिन इन ख्वाबों में हकीकत नहीं होती हैं 
इन ख्वाबों में सिर्फ़ ख्वाहिशें होती हैं। 

सूर्योदय के साथ हमारे ये ख्वाब टुट जाते हैं 
हम ख्याबों से हकीकत की दुनिया में लौट आते हैं। 
 
प्रतिक सिंघल  " प्रेमी " #हकीकत #ख्याब़