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किलकारी से गुंजा बचपन, स्नेह ममता ने कुछ यूं पाला

किलकारी से गुंजा बचपन,
स्नेह ममता ने कुछ यूं पाला है।
कच्चे माटी से मन को जिसने,
चाहा जैसे वैसे ही ढाला है।
नित दिन सहते सहते वो भी,
पाषाण अजीव हो जाएगी।
एक दिन... चिड़िया उड़ जाएगी।

©Ritika Vijay Shrivastava
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