भले खींचें तुम्हें अविश्वास की काली घटाएं, हो पग पग पर अनगनित परीक्षाएं, काल चक्र के शून्य को तुम्हें अब भेदना होगा, हो सवार संघर्ष रथ पे प्रण बलिदान का करना होगा। ये जरूरी नहीं के विजय पताका कौन फहराएगा, जरूरी है ये , के कौन संघर्ष को विजय तक पहुंचाएगा। #बाधाएं #अटलजी