झुलसती धूप में हमकदम बनकर हर पल वो साथ चलेगा वो मेरा अपना है मुझे छाँव में ला के मारेगा... उसे ख़बर है लड़ाई में वो जीत न पायेगा मुझसे... कर के सीने में दफ़न वो मुझे अपने आप में मारेगा... है आब-ए-कौसर उसके हाथों की अंजलि में... पर वो दवा की सूरत में जहर पिला के मारेगा... हो गया तुराब मेरी हसरतों के ताज़ का... अब वो रंज़िश के बहाने मेरा सर क़लम कर के मानेगा... वो बाख़बर है मेरी जीत-हार के मकसद से तो बन के बाज़ीगर वो खुद मुझसे हार के मारेगा.... - बंशी #मारेगा