रोटी पकाइ की थाक थाक रोटी सरिआई हाथ गोड़ जार-जार भोरे सांझे खनवा बनाई ओह पर से उठस तऽ एक ठाह बरतन अगोरे झट से दे मंजाई। हो भोर सबसे अगारी उठली घर आगन बहराई सोहराई मरदन , लइकन के कपड़ा साफे चाहीं रोज रोज दुइ बलटी कपड़ा जाता गोताई एहू से जब केहू के पेट ना भरे तऽ बात बात मे दुगो बात सुनाई रोटी पकाइ की थाक थाक रोटी सरिआई ~ सोनु यादव ©Sonu yadav #maa #maa #bhojpuri #kavita