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प्रीत बाकी मेहता सर्वे भवंतु सुखानी का उद्घोष करने

प्रीत बाकी मेहता सर्वे भवंतु सुखानी का उद्घोष करने वाली भारतीय संस्कृति दुनिया में सबसे विलक्षण है क्योंकि यह पूर्ण मानवतावादी है इसलिए इसका हर विधान मंगलकारी है मानवीय संबंधों की जितनी गहराई भारतीय संस्कृत में है उतनी दुनिया में कोई नहीं यहां रिश्तो का संबंध एक जन्म का नहीं बल्कि जन्म जन्मांतर का होता है जिस देश में बच्चे को पहला पाठ मृत्यु देवो भव और प्रीत देवो भव का पढ़ाया जाता है माता को धरती और पिता को अवकाश से भी ऊंचा कहा जाता है ऐसे संबंध को मृत्यु भय से अलग कर सकती है इसलिए मैं फितरत लोक में निवास करते हुए भी अपनी संतानों की मंगल कामना करते हैं हम तो प्रतिदिन सूर्य और चंद्रमा को भी अर्ध्य देते हैं पित्र इसी उत्तम शरीर से पूजनीय एवं तर्पण को ग्रहण करते हैं भारतीय संस्कृति संपदा आमूलख संस्कृति इसमें ऐसे अवसरों पर दान क्रियाओं का विधान इसलिए किया गया है ताकि जरूरतमंद लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके उचित देश काल में उचित पात्र को दिया गया दान सफल होता है अंतर सुपात्र को दिए गए दान से पत्र अवश्य संतृप्त होते हैं होंगे यही पित्र पक्ष की सार्थकता है अपने सत्य कर्म से ही हम इस अवसर को सफल बनाएं ना

©Ek villain #Pitarpakhada 

#Anhoni
प्रीत बाकी मेहता सर्वे भवंतु सुखानी का उद्घोष करने वाली भारतीय संस्कृति दुनिया में सबसे विलक्षण है क्योंकि यह पूर्ण मानवतावादी है इसलिए इसका हर विधान मंगलकारी है मानवीय संबंधों की जितनी गहराई भारतीय संस्कृत में है उतनी दुनिया में कोई नहीं यहां रिश्तो का संबंध एक जन्म का नहीं बल्कि जन्म जन्मांतर का होता है जिस देश में बच्चे को पहला पाठ मृत्यु देवो भव और प्रीत देवो भव का पढ़ाया जाता है माता को धरती और पिता को अवकाश से भी ऊंचा कहा जाता है ऐसे संबंध को मृत्यु भय से अलग कर सकती है इसलिए मैं फितरत लोक में निवास करते हुए भी अपनी संतानों की मंगल कामना करते हैं हम तो प्रतिदिन सूर्य और चंद्रमा को भी अर्ध्य देते हैं पित्र इसी उत्तम शरीर से पूजनीय एवं तर्पण को ग्रहण करते हैं भारतीय संस्कृति संपदा आमूलख संस्कृति इसमें ऐसे अवसरों पर दान क्रियाओं का विधान इसलिए किया गया है ताकि जरूरतमंद लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके उचित देश काल में उचित पात्र को दिया गया दान सफल होता है अंतर सुपात्र को दिए गए दान से पत्र अवश्य संतृप्त होते हैं होंगे यही पित्र पक्ष की सार्थकता है अपने सत्य कर्म से ही हम इस अवसर को सफल बनाएं ना

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