लोग लड़ते हैं मिलने की ख़ातिर, पर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई थी | जीत मिली हम दोनो को बस, बस आँसू की कमाई थी | तुम पंछी थे और मैं थी मछली, हम दोनो की अलग थी दुनिया, अलग सुबह और अलग जहाँ | सब कहते थे हम दोनों का, इस दुनिया में मेल कहाँ, पर भूल नहीं पाऊँगी वो लम्हा, जब तुमने दिल की धड़कने सुनायी थी | लोग लड़ते हैं मिलने की ख़ातिर, पर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई थी । By : Swanand Kairkire The Kaafir Poem - Part 1 -Manku Allahabadi The Kaafir Poem - Part 1 (By : Swanand Kirkire) #Barrier #swanandkirkire #kaafir #mankuallahabadi #Emotions