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इंसानियत को भूल, मज़हब को जेहन में हमने जब से बैठाय

इंसानियत को भूल, मज़हब को जेहन में हमने जब से बैठाया है।।
नफरत का ज़हर, इसी बजह से दिलों में समाया है।। Urdu_Word_Collab_Challenge_
Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry 
आज का लफ्ज़ है "मुकम्मल"

अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,,
जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial दिया जाएगा !
और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा।
इंसानियत को भूल, मज़हब को जेहन में हमने जब से बैठाया है।।
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