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मौन आमंत्रण गुल-ए-बहार की अंजुमन को समझो। मंद मं

मौन आमंत्रण 

गुल-ए-बहार की अंजुमन को समझो।
मंद मंद पुरवाई की छुअन को समझो।

गुनगुना कर भंवरों ने खिलाया चमन।
खिल रही फूलों की धड़कन को समझो।

झूम झूम कर बरसाई अंबर ने इश्क।
पत्तों पर थिरकती तड़पन को समझो।

मचल रही है दिल में रुहानी एहसास।
झुकी हुई पलकों की चिलमन को समझो।

इश्क की खुमारी में अजब सा आलम है।
सुरमई शाम सुहानी की अगन को समझो।।

झुकी हुई नजरें  दे रही है तुम्हें सदाऐं।
प्रणय का मौन आमंत्रण को समझो।।

अम्बिका मल्लिक ✍️

©Ambika Mallik
  #मौन_अभिव्यक्ति