हर घड़ी हर लम्हें राह तेरी, मैं पलकें बिछाये देखते रही। कल्पना के सागर में डूबी, एक -एक ख्वाब बुनती रही। मिले जब तुम लगा यूँ, उकेरती रहूँ। सात रंगों से सजा कर, मन के घेरा में फिरोती रहूँ। लगा मुझे बाग के फूलों से, चुन कर तुझे हृदय में बिठा लूँ। कतिपय मैं ठहरी-सी वहाँ रही, सोची पग मेरे तेरे पग से मिला लूँ। है ज़िन्दगी रूकी-रूकी, बिन तेरी साँस थमी-थमी। तुम मिले देर से, नमी आँखों में जमी -जमी। हर घड़ी हर लम्हें राह तेरी, मैं पलकें बिछाये देखते रही। कल्पना के सागर में डूबी, एक -एक ख्वाब बुनती रही। मिले जब तुम लगा यूँ, पन्ने पर तुझे उकेरती रहूँ। सात रंगों से सजा कर,